गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा लग रहा था कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कुछ न कुछ वोट भाजपा का भी काटेगी। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। उलटे अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस की लड़ाई के बीच भाजपा का समर्थक ज्यादा एकजुट हुआ और भाजपा का वोट प्रतिशत 53 फीसदी से ऊपर चला गया। असल में अरविंद केजरीवाल ने गुजरात चुनाव में हिंदुत्व का दांव खेला था। उन्होंने और उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों के रिहाई पर कुछ नहीं बोला और उलटे कहा कि यह उनका मुद्दा नहीं है। केजरीवाल ने चुनाव के बीच भारतीय मुद्रा यानी रुपए पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर लगाने का दांव चला।
परंतु गुजरात में केजरीवाल का दोनों में से कोई दांव नहीं चला। भाजपा समर्थक हिंदू मतदाताओं में उनकी अपील नहीं बनी। तभी भाजपा का वोट पिछली बार के 49 फीसदी से बढ़ कर 53 फीसदी पहुंच गया। उसके वोट में चार फीसदी का इजाफा हुआ। इससे यह बात भी साबित हुई कि अभी लोग क्लोन को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। उनके पास एक पार्टी के तौर पर भाजपा और हिंदू नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी व अमित शाह का विकल्प मौजूद है तो कम से कम उनके सामने किसी और को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हो सकता है कि गुजरात के बाहर दूसरे राज्य में केजरीवाल की अपील काम आए लेकिन गुजरात में वे भाजपा का वोट नहीं काट सके और कांग्रेस का करीब 13 फीसदी से ज्यादा वोट काट कर उसका बैठा दिया।