नई दिल्ली। 2000 के नोट को वापस लेने के बाद के प्रभाव को कम करने के लिए रू1000 के नोट को री-लॉन्च करने की कोई योजना नहीं है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि यह अटकलें हैं। अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। बता दें कि नवंबर 2016 में नोटबंदी का ऐलान हुआ। इसके तहत 500 और 1000 रुपये के नोट को बैन कर दिया गया। इसके बाद 500 रुपये के नए नोट और 2000 रुपये के बैंक नोट को लॉन्च किया गया। अब करीब 7 साल बाद रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोट वापस लेने का ऐलान किया है। जिन लोगों के पास 2000 रुपये के नोट हैं वो 23 मई से 30 सितंबर तक बैंक जाकर इसे दूसरे नोट में बदला जा सकेगा।
बैंकों को शेड लगाने की सलाह
इस बीच, आरबीआई ने बैंकों को सलाह दी है कि वे 2,000 रुपये का नोट बदलने या जमा करने आए लोगों को धूप के बचाने के लिए ‘शेड’ का इंतजाम करें। साथ ही कतार में लगे लोगों के लिए पीने के पानी की भी व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही बैंकों को नोट बदलने की सुविधा सामान्य तरीके से काउंटर पर उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके अलावा बैंकों को रोजाना जमा किए जाने वाले और बदले जाने वाले 2,000 के नोटों का ब्योरा रखने को कहा गया है।
30 सितंबर तक नोट बदलने का मौका
रिजर्व बैंक के गवर्नर को उम्मीद है कि 30 सितंबर की समयसीमा तक 2,000 रुपये के ज्यादातर नोट वापस आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला केंद्रीय बैंक के मुद्रा प्रबंधन का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2,000 का नोट वैध मुद्रा बना रहेगा। शक्तिकांत दास ने कहा कि 2,000 के नोटों को चलन से हटाने के फैसले का अर्थव्यवस्था पर ‘बहुत ही सीमित’ असर होगा। चलन में मौजूद कुल मुद्रा में 2,000 के नोट का हिस्सा सिर्फ 10.8 प्रतिशत है।
एक्सपर्ट का क्या है अनुमान
रिजर्व बैंक द्वारा 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के बाद अर्थशास्त्री उम्मीद कर रहे हैं कि बैंक जमा राशि 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी, जो 3.62 लाख करोड़ रुपये या प्रचलन में नोटों का 10.8% है। कोटक महिंद्रा बैंक के अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज और अनुराग बालाजी ने कहा कि अधिकांश 2,000 रुपये के नोट को बैंकों में जमा किए जाने की संभावना है और उम्मीद की जा रही है कि इससे डिपॉजिट बेस में सुधार होगा।