आखिरकार उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने लगातार अपनी दूसरी पारी शुरू कर दी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुष्कर सिंह धामी को भाजपा हाईकमान ने अपना विधायकी चुनाव हारने के बाद भी राज्य की बागडोर सौंप दी है। 21 मार्च को धामी को विधानमंडल दल का नेता चुना गया था और 23 मार्च को नई मंत्रिमंडल ने शपथ ग्रहण कर ली है। इस बार अभी प्रथम चरण में मुख्यमंत्राी के साथ आठ मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इनमें पांच मंत्राी सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी और रेखा आर्य पहले मंत्रिमंडल में भी मंत्राी थे और 3 नए चेहरों को शामिल किया गया है। तीन नए चेहरे हैं पूर्व विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल, चंदन राम दास और सौरव बहुगुणा। पूर्व मंत्राी परिषद में शामिल रहे वरिष्ठ नेता बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुपफाल और अरविंद पांडे को इस बार जगह नहीं दी गई है तो वहीं हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य कांग्रेस में शामिल हो गए और तीसरे यतीश्वरानंद हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव ही हार गए। देखा जाए तो अबकी बार भाजपा हाईकमान ने स्वतंत्रा होकर मंत्रिमंडल का गठन किया है। हां, हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक जोकि वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, भी मंत्राी बनना चाहते थे लेकिन उन्हें जगह नहीं दी गई है। हो सकता है कि आगामी विस्तार में उन्हें शामिल कर दिया जाए। क्योंकि कौशिक संगठन की कुर्सी से मुक्त होना चाहते हैं। मतगणना से पूर्व कई प्रत्याशियों ने कौशिक पर भितरघात करने का भी आरोप जड़े थे। हालांकि भाजपा सरकार ने दो तिहाई बहुमत लाकर सरकार बना ली है। अब जब पुष्कर सिंह धमी को सूबे की कमान सौंप दी है तो देखना है कि धामी पर बड़ी जिम्मेदारी है। वर्ष 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं मात्रा 2 साल का समय बचा है। इस चुनौती को धामी कैसे पार करते हैं। भाजपा सरकार के हौसले बुलंद हैं। कांग्रेस मात्रा 19 विधायक लेकर जो सरकार बनाने का सपना देख रही थी और टॉय-टांय पिफस हो गई। इधर, भाजपा ने इस बार महिला प्रत्याशी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया है। कोटद्वार से कांग्रेसी दिग्गज को परास्त करने वाली रितु खंडूरी को विधानसभा का पहला महिला अध्यक्ष होने का गौरव मिलने जा रहा है। रितु खंडूरी को पहले यमकेश्वर विधानसभा से टिकट नहीं दिया गया। वर्ष 2017 में रितु खंडूरी इस विधानसभा से विधायक चुनी गई थी लेकिन हाईकमान ने पहले उनका टिकट काट दिया पिफर प्रदेश महिला मोर्चा ने हो हल्ला करने के बाद उन्हें कोटद्वार विधानसभा से प्रत्याशी बनाया गया। जहां उन्होंने पुराने कांग्रेसी सुरेन्द्र सिंह नेगी जैसे दिग्गज को धूल चटा दी और वर्ष 2012 में अपने पिता भुवन चंद खंडूरी की हार का बदला ले लिया। कांग्रेस ने अपना कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है जिससे रितु खंडूरी का निर्विरोध् अध्यक्ष बनने का रास्ता सापफ हो गया है। अब देखना यह है कि धमी की अगुवाई में भाजपा की दूसरी पारी जनता की अपेक्षाओं पर कैसे खरी उतरती है।