लोकसभा में पेश हुआ ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक, विपक्षी दलों ने किया विरोध 

आइए जानते है क्या है ‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक 

नई दिल्ली। ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को सदन के पटल पर रखा। सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसे बड़े विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते गुरुवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी थी।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा था।

इस प्रस्ताव का उद्देश्य पूरे देश में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना है। फिलहाल लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग होते हैं, या तो पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद या जब सरकार किसी कारण से भंग हो जाती है। इसकी व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा होता है, उसी के हिसाब से उस राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं। हालांकि, कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम जैसे राज्य शामिल हैं। वहीं, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम जैसे राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव से ऐन पहले हुए तो लोकसभा चुनाव खत्म होने के छह महीने के भीतर हरियाणा, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से एक देश एक चुनाव के समर्थक रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का मुद्दा उठाया था। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *