काबुल : तालिबान सरकार अब पाकिस्तान को ही आंख दिखाने लगी है, दरअसल, तालिबान ने अफगानिस्तान सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा कराई जा रही बाड़बंदी व सैन्य चौकी निर्माण पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच वर्षों पुराना डुरंड रेखा विवाद एक बार फिर उभर गया है। पाकिस्तान को आशा थी कि वह तालिबानी सररकार से बातचीत करके इस मुद्दे को सुलझा लेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तालिबान ने अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत में पाकिस्तानी सेना द्वारा एक बाड़ और सैन्य चौकी के निर्माण को रोक लगा दिया।
गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले 22 दिसंबर को तालिबान के खुफिया महानिदेशालय के प्रांतीय प्रमुख ने पाकिस्तानी सेना द्वारा पूर्वी नंगरहार में जा रही बाड़बंदी पर रोक लगा दी थी।
सीमावर्ती जिले में रहने वाले चश्मदीदों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना अफगानिस्तान सीमा में 15 किलोमीटर अंदर घुसकर निर्माण करवा रही थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाक सेना अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत के चाहर बुर्जक जिले में एक सैन्य चौकी बनाने की प्रयास कर रही थी। हालांकि, पाक ने अब तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (IFFRAS) ने कहा कि यह एक ज्वलंत विवाद है, जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव का कारण बना है। 2600 किलोमीटर लंबी डूरंड रेखा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बनी हुई है। ज्ञात हो कि अशरफ गनी सरकार ने भी सीमा पर बाड़ लगाने पर आपत्ति जताई थी और अफगान पक्ष ने तब भी पाकिस्तान को बाड़ लगाने से रोकने की कोशिश की थी। हालांकि तब पाकिस्तान कामयाब रहा था।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान से लगी 90 प्रतिशत सीमा पर बाड़ लग गई है। आईएफएफआरएएस ने कहा, ‘बाड़ लगाना सीमा तंत्र का हिस्सा है, जिस पर न केवल लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए बल्कि आतंकवादियों को सीमा पार स्वतंत्र रूप से जाने से रोकने के लिए भी पाकिस्तान वर्षों से काम कर रहा है। एक थिंक टैंक के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा सीमा पर बाड़़ लगाने का असली कारण पश्तूनों को विभाजित करना है।
बता दें कि पाकिस्तान-अफगान सीमा के दोनों ओर पश्तून जातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं। अफगानिस्तान में 42 प्रतिशत जनसंख्या पश्तूनों की है। थिंक थैंक ने तर्क दिया कि पाकिस्तान ने सीमा पर बाड़ लगाकर इन लोगों को बांटने का काम किया है। IFFRAS ने कहा कि पाकिस्तान डूरंड रेखा को मान्यता देता है, जबकि अफगानिस्तान अतीत और वर्तमान में इसे मानने से इनकार करता रहा है।