विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में गुटबाजी सतह पर आ गई है। भाजपा विधायक दिलीप रावत ने पिछले तीन दिनों में अपनी ही सरकार के वन एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ दूसरी बार लेटर बम फोड़कर पार्टी में हलचल मचा दी है।
इस बार उन्होंने वन मंत्री पर लैंसडौन क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए केटीआर का कार्यालय लैंसडौन से संचालित करने और विद्युत वितरण खंड नैनीडांडा में अधिशासी अभियंता की तैनाती करने की मांग उठाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में तीन दिन में मांग पर कार्रवाई न होने पर विधानसभा के समक्ष आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है।
लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को गत 28 दिसंबर को पत्र भेजकर वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठाई थी। शुक्रवार को उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। पत्र में इस बार नाराजगी का एक बड़ा कारण विद्युत वितरण खंड नैनीडांडा में अधिशासी अभियंता की तैनाती न होना है।
कहा कि गत 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पटोटिया डांडा डिग्री कालेज में आयोजित कार्यक्रम में कार्यालय का लोकार्पण किया था। लोकार्पण के 20 दिन बाद भी ईई की तैनाती नहीं हो पाई है। उनका आरोप है कि ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक से वार्ता करने पर उनकी ओर से गोलमोल जवाब दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऊर्जा मंत्री डा. हरक सिंह रावत के दबाव के कारण नियुक्तियां टाली जा रही हैं। कहा कि पूर्व में केटीआर का प्रभागीय कार्यालय लैंसडौन से संचालित होता रहा है।
कुछ दिन पूर्व वन मंत्री के दबाव में इसे कोटद्वार शिफ्ट किया जा रहा था, जिसे उनके और स्थानीय जनता के विरोध के कारण रोक दिया गया, लेकिन केटीआर का कैंप कार्यालय कोटद्वार से ही चलाया जा रहा है। लैंसडौन में केटीआर का प्रभागीय कार्यालय निष्क्रिय पड़ा है। कहा कि तीन वर्ष पूर्व सेवायोजन कार्यालय को भी कोटद्वार शिफ्ट किया जा रहा था। उनके विरोध को देखते हुए बाद में इसे रोका गया। वर्तमान में उनके प्रयासों से सेवायोजन कार्यालय जयहरीखाल में शिशु मंदिर के भवन में संचालित हो रहा है। पत्र में उन्होंने चेतावनी दी कि लैंसडौन की लगातार हो रही उपेक्षा को वह बर्दाश्त नहीं करेंगे।