उत्तराखंड हिमालय में  शिक्षा, हरियाली, उत्पादकता, आपदा के प्रश्नों पर धाद ने जारी किया कलैंडर

1000 किताबों के कोने, 500 वृक्ष, 200 फँची परिवार और 100 आपदा प्रभावित बच्चों की शिक्षा सहयोग के संकल्प के साथ नए वर्ष का स्वागत

पौड़ी। सामाजिक संस्था धाद ने उत्तराखंड हिमालय में  शिक्षा, हरियाली, उत्पादकता, आपदा के प्रश्नों पर केंद्रित कलैंडर जारी किया। स्थानीय ऑफिसर्स  हॉस्टल में  कलैंडर को कोना कक्षा का के संयोजक गणेश चन्द्र उनियाल, फँची के संयोजक साकेत रावत, हरेलावन के संयोजक सुशील पुरोहित और पुनरुत्थान की ओर से अर्चना ग्वाड़ी ने वर्ष 2024 का कैलेंडर जारी किया।

कैलेंडर के बाबत जानकारी देते हुए धाद के सचिव तन्मय ने बताया कि धाद ने अपनी समाजिक यात्रा में उत्तराखंड के सामाजिक विषयों पर आम समाज का ध्यान आकृष्ट करने के लिए कलैंडर विधा का प्रयोग किया है। इसके साथ ही विभिन्न विषयों पर अपने सामाजिक कार्यक्रमों का परिचय करवाने के साथ आम समाज को जोड़ने के लिए यह हर वर्ष जारी किया जाता है इस वर्ष का कैलेंडर शिक्षा में समाज की रचनात्मक भूमिका, हरेलावन, हिमालयी अन्न उत्पादन और आपदा प्रभावित परिवारों की शिक्षा पर धाद के कार्यक्रमों पर केंद्रित है। शिक्षा में समाज की रचनात्मक भूमिका के कार्यक्रम कोना कक्षा का के संयोजक गणेश चन्द्र उनियाल ने बताया कि उत्तराखण्ड हिमालय में शिक्षा का आधार सार्वजनिक शिक्षा है जिसके सामने इस नए दौर में विभिन्न चुनौतियां हैं। हम ने अपने कार्यक्रम के साथ समाज को सार्वजनिक शिक्षा में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए पहल की है जिसके अंतर्गत समाज के सहयोग से 750 से अधिक कोने समाज के सहयोग से किताबों के कोने स्थापित किये गए हैं। जिसमें लोग रु 100/- मासिक योगदान के साथ किसी भी स्कूल में किताबों का कोना स्थापित कर सकते हैं। जिसमें देश के श्रेष्ठ प्रकाशकों की पुस्तकों, पत्रिकाओं के साथ बाल पर्व ‘फूलदेई’, प्रकृति पर्व ‘हरेला’ और ‘एक चिट्ठी लिखिए’ जैसे कार्यक्रमों के साथ स्कूलों में रचनात्मक आयोजन किये जाते हैं।

उत्तराखंड हिमालय के उत्पादन के साथ आम समाज को जोड़ने के कार्यक्रम फँची के संयोजक साकेत रावत ने बताया 2010 में दून विश्वविद्यालय में उत्तराखण्ड हिमालय में उत्पादकता के सवाल पर विमर्श के साथ उसके अन्न उत्पादन के विमर्श को समाज में ले जाने की पहल की गई थी। जो वर्ष 2015 में हरेला घी-संग्रांद आयोजन के साथ अन्न उत्पादन और भोजन परम्परा के सवाल के साथ आगे बढ़ा। अभियान में 2017 में पर्वतीय क्षेत्रों में श्रेष्ठ उत्पादन के लिए दिया जाने वाला जशोदा नवानी हरेला सम्मान और 2020 में हिमालयी उत्पाद उपभोक्ता समूह बनाने के लिए फंची और पर्वतीय भोजन परंपरा के आयोजन ‘कल्यो फूड फेस्टीवल’ के साथ निरंतर समाज में गतिविधियां की जा रही हैं।

हरेलावन के संयोजक सुशील पुरोहित ने बताया उत्तराखंड के लोकपर्व ‘हरेला’ को समाज और शासन के एजेंडे में स्थापित करने की पहल सन् 2010 में प्रारम्भ हुई। 5 वर्षों की नियमित सामाजिक गतिविधियों के बाद धाद की पहल पर सन् 2015 में हरेला शासन का विधिवत एजेंडा बना। हरेला के विचार को देश-दुनिया तक ले जाने की पहल के अन्तर्गत सन् 2016 से इसे एक महीने की गतिविधि के रूप में हर वर्ष आयोजित किया जाता है। जिसमें पर्यावरण, पारिस्थितिकी और उत्तराखंड हिमालय में उत्पादकता के सवालों के साथ सामाजिक गतिविधियां की जाती हैं। अभियान के अन्तर्गत 2023 में सामाजिक सहभागिता से वन विकसित करने के निमित्त हरेलावन कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।

हरेलावन समाज की सहभगिता से समूह वन बनाने की पहल करता है जिसके अंतर्गत स्मृतिवन, पुष्पवन, मित्रवन, बालवन प्रारंभ किये गए हैं।
पुनरुत्थान की ओर से  अर्चना ग्वाड़ी ने बताया केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखण्ड के आपदा-प्रभावित बच्चों की शिक्षा में सहयोग के लिए धाद की पहल पुनरुत्थान के अन्तर्गत उत्तराखण्ड हिमालय में आपदा प्रभावित बच्चों की शिक्षा में सामाजिक सहयोग की पहल की जाती है।  विभिन्न व्यक्तियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सहयोग के साथ की गई इस पहल के अंतर्गत सभी प्रभावित बच्चों को आम समाज के अंशदान से मासिक रु. 800/- का शैक्षणिक सहयोग किया जाता है। अभियान के अन्तर्गत सबके जीवन में शिक्षा का उजास भरने के निमित्त हर वर्ष उत्तराखण्ड के उजास पर्व ‘इगास’ का आयोजन सभी बच्चों के साथ सामूहिक रूप से किया जाता है। कार्यक्रम ने अपने दस वर्ष पूर्ण करने के साथ समाज के सहयोग से पचास लाख रूपये से अधिक की  शैक्षणिक सहयोग राशि जारी कर चुका है।

सभा का अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए लोकेश नवानी ने कहा कि धाद की अड़तीस वर्ष की यात्रा ने विभिन्न सामाजिक प्रश्नों को मुख्यधारा और सरकार का सवाल बनाया है और प्रसन्नता है कि यह अनवरत जारी है। इस अवसर पर विजय जुयाल, डॉ जयंत नवानी, हर्षमणि व्यास, विनय आनंद बौड़ाई, सुरेंद्र अमोली, सुशील पुरोहित, साकेत रावत, बृजमोहन उनियाल, किसन सिंह, महावीर सिंह रावत, मनोहर लाल, कुसुम, आशा डोभाल, राजीव पांथरी, आचार्य शिव प्रसाद ग्वाड़ी, पूनम भटनागर, चंद्रभागा शुक्ला, अंजना कंडवाल, हरीश कंडवाल, कैलाश कंडवाल, सविता जोशी, नीलम प्रभा वर्मा, योगेश बिष्ट, दिवाकर सकलानी, विमल रतूड़ी, वीरेंद्र खंडूरी, शुभम शर्मा, नरेंद्र सिंह नेगी, आदि उपस्थित रहे।

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