कोर्ट ने नाबालिग आरोपित को आटो चालक की हत्या के मामले में जमानत देने से किया इंकार

नई दिल्ली। हर्ष विहार इलाके में आटो चालक की हत्या करने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने नाबालिग आरोपित को जमानत देने से इन्कार करते हुए कहा कि अपराधी उसे नैतिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक खतरे की ओर धकेल सकते हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंद्र बेदी के कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड के उस आदेश पर गौर करते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी, जिसमें बताया गया था कि नाबालिग पर स्वजन का नियंत्रण नहीं है और वह बुरी संगत से घिरा हुआ है

पिछले साल सात अक्टूबर को हर्ष विहार इलाके में सवारी बनकर पांच लोगों ने आटो चालक से लूटपाट की थी और कड़े से वार कर उसकी हत्या कर दी थी। बाद में शव को मंडोली औद्योगिक क्षेत्र में सड़क किनारे फेंक गए थे। कुछ ही दिन बाद पुलिस ने हत्यारोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। तब मालूम हुआ था कि आरोपितों में तीन नाबालिग हैं। उनमें से एक नाबालिग ने हाल में कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दायर की।

वहीं, एक अन्य मामले में न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि गर्भ रखना या न रखना संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत निजी स्वतंत्रता का एक आयाम है। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को देखते हुए गर्भ रखने या नहीं रखने के निर्णय लेने की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि स्वस्थ और सामान्य जीवन के साथ भ्रूण की अनुकूलता की कमी बड़े पैमाने पर है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे को जीवन के प्रारंभिक चरण में कार्डियक सर्जरी की जरूरत होगी। विशेषज्ञों की राय के अनुसार, बच्चे के शारीरिक तौर पर विकास की संभावना कम है और यह भी चेतावनी दी गई कि उसे शल्य चिकित्सा का सामना करना पड़ेगा।

पीठ ने उक्त टिप्पणी के साथ याचिकाकर्ता को गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी। कहा कि गर्भधारण करना महिला के प्रजनन अधिकारों का एक पहलू है और यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक आयाम है। इस प्रकार याचिकाकर्ता को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। पेश मामले में भ्रूण कई तरह की गंभीर बीमारियों से पीड़ित है और महिला ने भ्रूण गिराने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की थी।

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