केंद्र सरकार और सभी राज्यों की सरकारों ने कोरोना के लगभग सारे प्रोटोकॉल वापस ले लिए हैं। अब सार्वजनिक जगहों पर, यहां तक कि विमानों के अंदर भी मास्क लगाने की अनिवार्यता नहीं है। कहीं भी यात्रा करने के लिए वैक्सीन लगाए होने की बाध्यता भी नहीं है और न सामाजिक दूरी रखने की अनिवार्यता है। हालांकि यह सब जब लागू था तब भी कई राज्यों के चुनाव हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अन्य नेताओं की लाखों लोगों की भीड़ के साथ रैलियां भी हुईं। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कांग्रेस पार्टी को चिट्ठी लिख कर कहा है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में कोरोना प्रोटोकॉल टूट रहा है। उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस यह सुनिश्चित करे कि यात्रा में सिर्फ वे ही लोग शामिल हों, जिन्होंने वैक्सीन लगवाई है। साथ ही उन्होंने मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल अनिवार्य करने को भी कहा है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि यात्रा में जुडऩे और वहां से हटने के बाद लोगों को आइसोलेट किया जाए। अन्यथा यात्रा रोक देने को कहा है।
सोचें, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की इस चिट्ठी का क्या मतलब है? जब देश में कोई प्रोटोकॉल लागू नहीं है तो फिर इस तरह के निर्देश क्यों जारी हुए? सरकार अगर यात्रा रूकवाना चाहती है तो पहले प्रोटोकॉल लागू कर दे। कितनी हैरानी की बात है कि चीन में या जापान, कोरिया, अमेरिका में कोरोना फैल रहा है तो सरकार को सबसे पहले राहुल की यात्रा रूकवाने की सुझी! देश में कहीं भी प्रोटोकॉल लागू करने से पहले सरकार को राहुल की यात्रा की चिंता हुई! यह भी मजेदार है कि दो दिन पहले यानी 19 दिसंबर को ही सरकार ने संसद में बताया कि भारत में कोरोना के एक्टिव केसेज तेजी से घटे हैं और अब मार्च 2020 के बाद सबसे कम केस रह गए हैं। अब अगर दुनिया में केसेज बढऩे से सरकार चिंता में है तो पहले स्थित की समीक्षा करे और यह देखे कि कौन से प्रोटोकॉल लागू करने या अभी इंतजार करना है। लेकिन उससे पहले ही यात्रा को नोटिस जारी कर दिया गया।