केंद्र सरकार ने खांसी की दवाओं पर बढ़ाई सख्ती, 10 रसायन रखे हाई-रिस्क श्रेणी में

जहरीले रसायनों की मिलावट रोकने के लिए राज्यों को दी गई निगरानी की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। हाल के महीनों में खांसी की दवाओं में जहरीले रसायनों की मिलावट के मामलों के बाद केंद्र सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने 10 रसायनों को ‘हाई-रिस्क सॉल्वेंट्स’ की श्रेणी में रखते हुए सभी राज्यों को इन पर तत्काल निगरानी शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम दवाओं की गुणवत्ता और जनसुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

राज्यों को मिली निगरानी की जिम्मेदारी

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्यों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब इन रसायनों की पूरी सप्लाई चेन – उत्पादन से लेकर दवाओं की बिक्री तक – सरकारी निगरानी के दायरे में रहेगी। इसके लिए केंद्र ने नया ओएनडीएलएस (Online National Drug Licensing System) पोर्टल शुरू किया है, जिस पर सभी गतिविधियां डिजिटल रूप से ट्रैक की जाएंगी।

इन रसायनों पर होगी कड़ी नजर

सरकार ने जिन 10 रसायनों को हाई-रिस्क श्रेणी में रखा है, उनमें शामिल हैं —

ग्लिसरीन, प्रोपाइलीन ग्लाइकोल, माल्टिटोल और माल्टिटोल सॉल्यूशन, सोर्बिटोल और सोर्बिटोल सॉल्यूशन, हाइड्रोजेनेटेड स्टार्च हाइड्रोलाइसेट, डाइएथिलीन ग्लाइकोल स्टिऐरेट्स, पॉलीएथिलीन ग्लाइकोल, पॉलीएथिलीन ग्लाइकोल मोनोमेथिल ईथर, पॉलीसॉर्बेट और पॉलीऑक्सिल कंपाउंड्स, तथा एथिल अल्कोहल।

ये वही रसायन हैं जिनके अनुचित उपयोग के कारण पहले भी कफ सिरप में संदूषण के मामले सामने आए थे।

फार्मा कंपनियों के लिए नया नियम अनिवार्य

सरकार ने साफ किया है कि दवाओं में इन रसायनों का उपयोग करने वाली सभी फार्मा कंपनियों को ओएनडीएलएस पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। जिन कंपनियों के पास पहले से निर्माण लाइसेंस है, उन्हें भी पोर्टल पर अपनी जानकारी अपडेट करनी होगी। हाल में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और प्रोपाइलीन ग्लाइकोल (PG) से संबंधित प्रदूषण के मामलों ने वैश्विक स्तर पर भारत की दवा निर्माण छवि पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद यह सख्त कदम उठाया गया।

देशभर में निगरानी प्रणाली लागू

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने बताया कि ओएनडीएलएस पोर्टल अब लाइव है, और इस प्रणाली के जरिए सॉल्वेंट की सप्लाई चेन, उत्पादन स्रोत, और गुणवत्ता पर वास्तविक समय में निगरानी रखी जाएगी। यह डिजिटल सिस्टम सी-डैक नोएडा की मदद से विकसित किया गया है और इसे तत्काल प्रभाव से पूरे देश में लागू कर दिया गया है।

अब घरेलू बाजार में भी सिरप की लैब जांच अनिवार्य

केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि कफ सिरप की सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच अब भारत के घरेलू बाजार के लिए भी जरूरी होगी। जिस तरह निर्यात से पहले दवाओं को सरकारी लैब से सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरना होता है, अब वैसा ही प्रावधान घरेलू बिक्री पर भी लागू होगा। फार्मा कंपनियों को किसी भी सिरप को बाजार में लाने से पहले “सर्टिफिकेट ऑफ एनालिसिस” (COA) प्राप्त करना अनिवार्य होगा, जो केवल मान्यता प्राप्त सरकारी या अनुमोदित लैब से जांच के बाद ही जारी किया जाएगा।

जनसुरक्षा और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम

सरकार का यह निर्णय दवा उद्योग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इससे न केवल दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी, बल्कि देश में फार्मा सेक्टर पर जनता का भरोसा भी मजबूत होगा।