केंद्र सरकार ने उपभोक्ता विवादों के जल्द समाधान के लिए जिला, राज्य व राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोगों के अधिकार क्षेत्र में इजाफा किया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) अब दो करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की वस्तुओं व सेवाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई करेगा। पहले वह 10 करोड़ रुपये से ज्यादा के ही मामलों की सुनवाई करता था।
केंद्र सरकार ने इन आयोगों की सुनवाई का दायरा बढ़ाने को लेकर नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है। इससे जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर के आयोगों का आर्थिक क्षेत्राधिकार संशोधित किया गया है। नियमों में संशोधन का मकसद मामलों का जल्दी निपटारा करना है। आधिकारिक बयान के अनुसार नए नियमों के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग के पास 50 लाख रुपये तक की सेवाओं या वस्तुओं के मामलों की सुनवाई का अधिकार होगा। पहले यह सीमा एक करोड़ तक थी।
राज्य उपभोक्ता आयोग अब 50 लाख रुपये से लेकर दो करोड़ रुपये तक के मामलों की सुनवाई करेंगे। पहले राज्य आयोग एक करोड़ से ज्यादा के और अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक के मामले सुनते थे। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय आयोग अब दो करोड़ रुपये से अधिक की वस्तुओं व सेवाओं से जुड़े विवादों की सुनवाई करेगा।
केंद्र ने उपभोक्ता संरक्षण (जिला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग के क्षेत्राधिकार) नियम, 2021 के लिए नियम अधिसूचित किए हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ये नए नियम बनाए गए हैं। अधिनियम में उपभोक्ता विवादों के निवारण के लिए एक त्रि-स्तरीय अर्द्ध-न्यायिक तंत्र की स्थापना की गई है। इसके तहत जिला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया है।
आयोग के पूर्ववर्ती क्षेत्राधिकार नियमों के कारण राष्ट्रीय, राज्य व जिला आयोगों के बीच मामलों के वर्गीकरण में कठिनाई हो रही थी। जिला आयोग के मामले राज्य आयोगों में और राज्य आयोगों के मामले राष्ट्रीय आयोगों में दायर किए जाने लगे थे। केंद्र सरकार ने राज्यों, संघ शासित प्रदेशों, उपभोक्ता संगठनों व कानूनी एजेंसियों की सलाह लेकर क्षेत्राधिकार का पुनर्निधारण किया है।