हल्द्वानी/पिथौरागढ़: छह वर्षीय मासूम लाडली की हत्या और दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट से मुख्य आरोपी अख्तर अली के बरी होने के बाद कुमाऊं फिर एक बार उबाल पर है। हल्द्वानी के बुद्धपार्क में गुरुवार को हुई जनसभा में हजारों लोग जुटे और बेटी को न्याय दिलाने की मांग उठाई। सभा के दौरान लाडली के ताऊ के शब्दों ने मौजूद लोगों की आंखें नम कर दीं। उन्होंने कहा— “हमारी बच्ची हंसी-खुशी पिथौरागढ़ से हल्द्वानी आई थी, लेकिन हमें उसकी लाश लौटा दी गई। बेटी के शरीर पर सिगरेट से दागे निशान आज भी हमें जलाते हैं। अगर हमें न्याय न मिला तो प्रदेश की हर बेटी का यही हाल होगा।”
सभा में मौजूद लोगों ने एक स्वर में नारे लगाए— “बेटी हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं।”
सरकार और सिस्टम पर सवाल
लाडली के ताऊ ने सरकार से पूछा कि क्या उत्तराखंड में कोई काबिल वकील नहीं हैं, जो मध्यप्रदेश से वकील लाने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए, वरना हर केस में आरोपी छूटते रहेंगे। साथ ही आरोप लगाया कि सरकार आंदोलन तोड़ने की कोशिश कर रही है, जबकि जरूरत सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की है।
पुलिस से झड़प और महिलाओं का धरना
जनसभा के बाद जब भीड़ ने जुलूस निकालने की कोशिश की तो पुलिस ने गेट बंद कर रोकने का प्रयास किया। इससे आक्रोशित लोग भड़क उठे और धक्का-मुक्की हो गई। कई महिलाएं सड़क पर धरने पर बैठ गईं। माहौल बिगड़ता देख पुलिस ने गेट खोलना पड़ा।
कांग्रेस नेताओं का देर से समर्थन
लोगों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को निशाने पर लिया और आरोप लगाया कि कोई भी पार्टी बेटी के परिवार के साथ खड़ी नहीं हुई। हालांकि किरकिरी के बाद कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश और ललित जोशी मौके पर पहुँचे और परिवार को समर्थन देने की बात कही।
आठ साल पुराना दर्दनाक मामला
नवंबर 2014 में पिथौरागढ़ से हल्द्वानी आए एक विवाह समारोह से छह वर्षीय लाडली लापता हो गई थी। छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से बरामद हुआ। जांच में पता चला कि टॉफी का लालच देकर उसका अपहरण किया गया, सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। पुलिस ने आरोपी अख्तर अली समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। 2016 में स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।
अन्य पीड़िताओं के लिए भी न्याय की मांग
इस जनसभा में लोगों ने केवल लाडली ही नहीं बल्कि अंकिता भंडारी और हल्द्वानी की योगा ट्रेनर को भी न्याय दिलाने की मांग उठाई। “महिला उत्पीड़न बंद करो” और “रिव्यू पिटीशन” जैसे पोस्टर हाथों में लिए लोग देर तक नारेबाजी करते रहे।