बाल पर्व फूलदेई संवाद श्रंखला के अंतर्गत “मातृभाषा और प्राथमिक शिक्षा” विषय पर एक विचार विचार गोष्ठी आयोजित की गई

मातृभाषाएं और प्राथमिक शिक्षा
विमर्श जागेशवर जोशी प्रो बलवंत सिंह नेगी वीरेन्द्र पंवार रिद्धि भट्ट अजीम प्रेमजी सभागार

अजीम प्रेमजी सभागार में ‘धाद’ सामाजिक संस्था द्वारा सृजन का बाल पर्व फूलदेई संवाद श्रंखला के अंतर्गत “मातृभाषा और प्राथमिक शिक्षा” विषय पर एक विचार विचार गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता धाद के केंद्रीय उपाध्यक्ष श्री डीसी नौटियाल जी द्वारा की गई ।
सत्र का संचालन शिक्षिका और लेखिका श्रीमती ऋद्धि भट्ट द्वारा की गई। प्रथम वक्ता के रूप में श्री जागेश्वर जोशी जी पूर्व शिक्षक, बाल कहानीकार, नाटककार, कार्टूनिस्ट एवं शिक्षाविद द्वारा अपने विचार रखे गए। श्री जोशी जी द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि मातृभाषा के संरक्षण के लिए बच्चों को परिवार के द्वारा ही पहल करनी आप आवश्यक है तथा बच्चों को यदि अपनी मातृभाषा में पूर्व कक्षाओं में शिक्षण कराया जाए तो उसका संवेगात्मक विकास अच्छा होता है उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि UNESCO द्वारा 2010 में किये गये भाषायी सर्वे में विश्व में विलुप्ति की कगार पर पहुंचने वाली भाषाओं में उत्तराखण्ड की लोकभाषाएँ भी हैं, जिन्हें बोलने वालो की संख्या निरंतर घट रही है।
सोशल मीडिया के दौर का सुखद पहलू है कि हस्तलब्ध साधन होने के कारण प्रचार- प्रसार हो पा रहा है। परंतु इस दिशा में सरकार द्वारा किये गये प्रयास नाकाफी हैं। यदि सरकारें ईमानदार प्रयास करे तो संभव है कि, भाषा के साथ संस्कृति व सभ्यता को भी विलुप्त की होने से बचाया जा सकता है।

दूसरे वक्ता के रूप में प्रोफेसर डॉक्टर बलवंत सिंह नेगी जी जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुडदौडी द्वारा कहा गया कि मातृभाषा के संवर्धन एवं विकास के लिए सरकारों को भी इस विषय में पहल करनी होगी उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक सभी स्कूलों पब्लिक /सरकारी में अनिवार्य रूप से लागू नहीं की जाएंगी तब तक कुछ खास नहीं होने वाला।

साथ ही हम सबका दायित्व है कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना होगा तथा आपस में गढ़वाली में मातृभाषा में बातचीत कर इसको बढ़ावा देना होगा।कार्यक्रम का आरम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ नन्ही नन्ही फुलारियों शिवानी, राधिका व पावनी द्वारा मातृभाषा में सरस्वती वंदना का गायन कर किया गया। बच्चियों द्वारा फूलदेई पर्व पर फुल्यारी बनकर फूलदेई मनाया गया। रा प्रा वि मेरुड़ा की कुमारी पावनी द्वारा गढ़वाली में कहानी वाचन किया गया जो कि बहुत आकर्षक प्रस्तुति रही। आंगनबाड़ी की बालिका प्रियांशी द्वारा एक छोटी सी गढ़वाली कविता प्रस्तुत की गई जिसको बहुत सराहा गया। क्रेडल पब्लिक स्कूल के छात्र ओम खत्री द्वारा ‘हथों में हाथ थमी की ‘ गढ़वाली कविता सुनाई गई। हेरिटेज अकादमी की छात्रा समृद्धि भट्ट द्वारा गढ़वाली में कहानी और एक ग़ज़ल प्रस्तुत की गई । डीएवी की कुमारी प्रियांशी द्वारा चारु चंद्र चंदौला जी की गढ़वाली कविता का वाचन तथा प्रियांशु डीएवी द्वारा गढवाली गीत ‘सात समुंदर पार’ गाकर उसदौर की यादें ताजा कर दी। धाद संस्था के केन्द्रीय सचिव श्री तन्मय ममगांई द्वारा अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखंड में मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा की बात निरंतर विमर्श में मौजूद रही है इस विचार के समर्थन में धाद ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2012 के आयोजन आखिर कैसे बचेगी भाषाएं में शानदार प्रस्ताव के साथ पहल की ।इस दिशा में एक विशिष्ट पहल 2019 में पौड़ी जिले में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी के कार्यकाल में जिलाधिकारी महोदय के मार्फत सामने आई जिसमें शासन द्वारा विभिन्न गढ़वाली साहित्यकारों के सहयोग से पाठ्यक्रम तैयार करते हुए प्रकाशन किया गया और पायलट प्रोजेक्ट पौड़ी जिले में समस्त विद्यालयों में अनौपचारिक रूप से लागू किया।
उन्होंने कहा कि “धाद” अपने 4 दशकों के भाषा आंदोलन की निरंतरता को बनाते हुए पुरजोर समर्थन एवं मांग करती है कि “नयी शिक्षा नीति 2020 के आलोक में प्राथमिक कक्षाओं मे पठन-पाठन का माध्यम मातृभाषा होना ही चाहिए।

गोष्ठी में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन की कोटद्वार इकाई,धाद लोकभाषा एकांश के संरक्षक श्री जगमोहन सिंह बिष्ट, श्री सोहन मैन्दोला जी ,सचिव राजेश खत्री, महेन्द्र जदली पूर्व प्रधानाचार्य जगमोहन रावत ,पूर्व उप शिक्षा अधिकारी श्रीमती कान्ती नेगी, महिला धाद की सदस्या लक्ष्मी रावत, रूपा रावत, रेखा शर्मा असीम रॉय, हेमचंद्र कुकरेती, जिला खाद्य अभिहित अधिकारी प्रमोद रावत, कविता रावत, राजीव थपलियाल, रेखा बिष्ट, राजेंद्र प्रसाद, पिंकी देवी, विमल कुमार आदि उपस्थित रहे।

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