14 किलोमीटर मिसिंग धारकोट जुलेड़ी मोटर मार्ग जुड़ने का कर रहा है 13 सालों से इंतजार

यमकेश्वर। धारकोट जुलेड़ी मोटर मार्ग जो 2008 में स्वीकृत हुआ था, और 2010 में धारकोट से साइकिवाड़ी तक 10 किलोमीटर तक सड़क बन गयी, वही दूसरे छोर से जुलेड़ी से त्याडो घाटी तक 10 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। लेकिन उसके बीच का 14 किलोमीटर सड़क अभी तक नही बन पाई है, यह सड़क त्रिशंकु की तरह लटकी हुई है। इस सड़क पर त्याडो और साइकिलवाड़ी में एक एक पुल स्वीकृत है।

यमकेश्वर विधायक रेनू बिष्ट के द्वारा उक्त सड़क बनाने के लिए जुमला युक्त आश्वासन दिया था किंतु धरातल पर कुछ नहीं हुआ। पूर्व के विधायक, जिला पंचायत और सांसद महोदय को भी अवगत कराया गया उनके द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की गई हैँ। सनद रहे की इस मिसिंग 14 किलोमीटर सड़क को नजरअंदाज करना जन हित मे उचित नजर नही आता है। वर्तमान ताल घाटी के जो हालात हैँ उसके पीछे जनप्रतिनिधियों की अनदेखी रही हैँ, क्योंकि यँहा सड़क और अन्य मूलभूत आवश्यकता के अभाव में सब अन्यत्र बसने को मजबूर हो गये हैँ, बस गिनती का जनमानस होने के कारण यँहा शराब का ठेका भी नहीं खुल सकता हैँ। यदि यंही शराब का ठेका खुल जाता तो कम से कम ताल घाटी का उदय हो जाता।

वर्तमान में ताल घाटी के लिए ऋषिकेश जाने के लिए एक मात्र वाहन की उपलब्धता हैँ, वह भी मिल जाये तो आपकी किस्मत। धारकोट जुलेड़ी मोटर मार्ग पिछले 13 साल से इस सड़क के कटने से जँहा जनता को लाभ मिलना था, वँहा नुकसान हुआ है, क्योकि ना तो स्थानीय निवासियों को सड़क न बनने से गंतव्य स्थल तक नही जा पा रहे हैं, वही उनकी भूमि भी इस सड़क में कट गई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क विकास के लिये तो जमीन जाएगी, यह स्वाभाविक है, लेकिन सड़क पूरा नही बनने पर उनमें निराशा और आक्रोश है।

इस सड़क के निर्माण से डांडामण्डल क्षेत्र और नीलकंठ एवं लक्ष्मण झूला कांडी मोटर मार्ग एक दूसरे से लिंक हो जाएगा। इससे नीलकंठ आने वाले यात्रियों को विंदयवासनी दर्शन, तालेश्वर मंदिर, कोटेश्वर मंदिर, मेदिनीपुरी मंदिर से मैदान होते हुए जौराशी से दुगड्डा मोटर मार्ग के रास्ते कोटद्वार जा सकते है। वही तालघाटी क्षेत्र के लिये यह सड़क वरदान साबित होगा।

यमकेश्वर के सभी जनप्रतिनिध इस महत्वपूर्ण सड़क पर उनकी चुप्पी जनता के मन मे कई सवालों को खड़ा करती है, एक तरफ जँहा यमकेश्वर में कई जगह सड़कों पर कार्य प्रगति पर है, वहीं 13 साल से आधे में लटकी 14 किलोमीटर सड़क भी अपनी राह खुलने का इंतजार कर रही है।

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